बीमा पॉलिसी सरेंडर नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी, जाने क्या होगा फ़ायदा:-हेल्लो दोस्तों आज कि भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बीमा कवर लेना बहुत ही आवश्यक हो गया है जिससे आपको व आपके परिवार को वित्तीय स्वत्रंता मिल जाती है लेकिन आज बाज़ार में बहुत सारी बीमा कंपनिया है जिनके बीमा कवर के अपने अपने फायदे व नुकसान है सब लोग अपनी आवश्यकता और शहुलियत के हिसाब से बीमा कवर चुनते है कई बार पैसे की आवश्यकता हो जाने पर मैच्योरिटी की अवधि पूरी होने से पहले ही रकम निकालनी पड़ जाती है हालांकि ऐसा करने से पॉलिसीधारक को नुकसान उठाना पड़ता है पर IRDAI ने बीमा पॉलिसी सरेंडर नियमो में कुछ बदलाव किया है जिससे अब पॉलिसीधारक को नुकसान कम होगा क्या क्या किया गया है बदलाव आइये जानते है पूरी खबर इस आर्टिकल के ज़रिये
बीमा पॉलिसी सरेंडर नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी
IRDAI ने कंसल्टेशन पेपर में Non-Par उतपाद के लिए और ऊंचे सरेंडर वैल्यू को प्रस्तावित किया है गारंटीड सरेंडर वैल्यू या स्पेशल सरेंडर वैल्यू दोनों में से जो बड़ी राशि हो वो दिया जाएगा जब भी कोई इंश्योरेंस पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को मैच्योरिटी के पहले ही बंद करा देता है तो उसे तब तक भरे गए प्रीमियम का कुछ हिस्सा ही वापस मिल पाता है इसे ही सरेंडर वैल्यू कहा जाता है इसके लिए सरेंडर वैल्यू कैलकुलेट की जाती है हालांकि इंश्योरेंस कंपनियां मैच्योरिटी के पहले पॉलिसी बंद कराने परा उस पर शुल्क काट लेती हैं लेकिन अब इंश्योरेंश कस्टमरो को सरेंडर वैल्यू पर लाभ हो सकता है बीमा रेगुलेटरी IRDAI ने इसे लेकर कंसल्टेशन पेपर जारी किया है
क्या रखा है IRDAI ने प्रस्ताव
IRDAI ने कंसल्टेशन पेपर में Non-Par उत्पाद के लिए और ऊंचे सरेंडर वैल्यू को प्रस्ताव किया है गारंटीड सरेंडर वैल्यू या स्पेशल सरेंडर वैल्यू दोनों में से जो बड़ी राशि हो वो दी जाएगी इससे पॉलिसीधारक की सरेंडर वैल्यू में बढ़ोतरी होगी इससे Non-Par उत्पाद के मार्जिन्स पर नेगेटिव असर होगा ध्यान देने वाली बात ये है कि ये प्रस्ताव non-par या non-participating products को लेकर किया गया है नॉन-पार्टिसिपेटिंग उत्पाद का मतलब ऐसी पॉलिसीज़ से हैं जिसपर पॉलिसीधारक को कंपनी के लाभ का शेयर नहीं मिलता उन्हें सालाना डिविडेंड पेआउट का लाभ नहीं मिलता
क्या होती है सरेंडर वैल्यू
देखिए जब पॉलिसीधारक पालिसी को मैच्योरिटी से पहले बंद करता है तब इंश्योरेंस कंपनी पालिसीधारक को सरेंडर वैल्यू चुकाती है सरेंडर वैल्यू के तौर पर लगभग प्रीमियम राशि पालिसीधारक को वापस देती है सरेंडर वैल्यू के लिए पॉलिसीधारक को कम से कम तीन वर्षो तक प्रीमियम देना होता है अर्थात कि सरेंडर वैल्यू आपको तभी मिलेगी जब आपने तीन वर्षो तक लगातार प्रीमियम भरा हो और ये भी जान लीजिए कि सरेंडर वैल्यू 2 तरह की होती है गारंटीड सरेंडर वैल्यू और स्पेशल सरेंडर वैल्यू
इस फैसले का किन किन कंपनियों पर होगा असर
IRDAI की ओर से यदि ये प्रावधान आता है तो HDFC Life, SBI Life, Max Life, ICICI Pru Life और LIC जैसी कंपनियों पर असर देखने को मिल सकता है लेकिन इन कंपनियों के पोर्टफोलियों नॉन पार्टिसिपेटिंग उत्पाद की कितनी हिस्सेदारी है यह भी देखने और सोचने की आवश्यकता है इसी के आधार पर असर भी देखने के लिए मिलेगा